वेरिएबल :
वेरिएबल
किसी संख्या या वैल्यू को प्रदर्शित (represent) करने वाला एक नाम होता हैं,
वेरिएबल लेटिन भाषा के एक शब्द “वेरियाबिलिस” से जन्मा हैं। वेरी शब्द का अर्थ
विभिन्न होता हैं जबकि एबिलिस का अर्थ “क्षमता या योग्य” होता हैं। जिसका पूर्ण
अर्थ बंनता है “बदलाव की क्षमता” ।
कम्प्युटर
प्रोग्रामिंग मे वैल्यू को प्रदर्शित करने के लिए हम नाम का उपयोग करते हैं।
कम्प्युटर प्रोग्रामिंग मे दो प्रकार से वैल्यू को प्रदर्शित करने के लिए नाम का
निर्धारण किया जाता हैं।
1 – कॉन्स्टेंट
2 – वेरिएबल
परंतु
वेरिएबल और कॉन्स्टेंट दोनों वैल्यू को प्रदर्शित (represent) करती हैं, पर दोनों ही अलग
इकाई हैं। कॉन्स्टेंट मे वैल्यू बार बार नहीं बदलती हैं,
जबकि वेरिएबल मे पूरे प्रोग्राम एक्सक्यूशन के दौरान वेरिएबल की वैल्यू कई बार बदल
सकती हैं। एसा सिर्फ इस लिए हो सकता हैं क्योंकि वेरिएबल मे असाइनमेंट-आपरेटर (=)
कार्य कर सकता हैं। जबकि कॉन्स्टेंट मे असाइनमेंट-आपरेटर (=) कार्य नहीं करता हैं।
वेरिएबल
का नाम एक आइडेंटिफ़ायर हैं। इसलिए अगर
आपको यह जानना हो की वेरिएबल का नाम कैसे रखा जाता हैं तो उसके लिए आपको आइडेंटिफ़ायर का आर्टिकल पढ़ना होगा।
अब
वेरिएबल का दूसरा पहलू जानते हैं, की यह किस तरह से कार्य करती हैं। प्रोग्राम का कार्य हैं आंकड़ो को
प्रोसेस करना, यह आकडे ज़्यादातर यूजर द्वारा प्रोग्राम मे
दिये जाते हैं, जिन्हे इनपुट के नाम से भी जाना जाता हैं। इन
इनपुट को प्रोग्राम के क्रियान्वयन के पूरे हो जाने तक इन्हे सुरक्षित रखना होता
हैं। इसके लिए सी भाषा इन इनपुट को कम्प्युटर के मेमोरी मे स्थान देता हैं। कम्प्युटर
डाटा को मेमोरी के जिस स्थान मे रखता हैं कम्प्युटर उसे एक नाम देता हैं जो
प्रोग्रामर द्वारा प्रोग्राम के शुरू मे ही निर्धारित किया गया होता हैं। जिससे
प्रोग्रामर को उस स्थान मे रखे डाटा को प्रोसेस करने मे दिक्कत न हो। क्यो की
प्रोग्रामर कई बार उस डाटा को प्रोसेस करने के लिए इन्सट्रक्शन लिखेगा, जिसमे वह किस डाटा को प्रोसेस कर रहा हैं, यह जब ही
पता लग पाएगा, जब वह डाटा के लोकेशन को दिये गए नाम (वेरिएबल
नेम) का उपयोग करेगा।
अब
वेरिएबल के बारे मे एक उदाहरण के माध्यम से समझने की कोसिस करते हैं। माना आपके
सामने चार कुर्सी राखी हुई हैं जिनका रंग लाल हैं उन कुर्सीयों के पास आपका एक
दोस्त खड़ा हुआ हैं जिसका नाम रवि हैं, चारो कुर्सी मे पीले रंग का बैग हैं जैसा की नीचे दिये चित्र
मे दिख रहा हैं।
हरे
रंग का तीर यह बता रहा हैं की आपको इस बैग की आवश्यकता हैं। अब आप अपने दोस्त को
कैसे कहेंगे की आपको कौन से बैग की जरूरत हैं। आप सोच रहे होंगे की इसमे कौन सी
बड़ी बात हैं। हम अपने दोस्त को कह देंगे बाए से दूसरे कुर्सी का बैग ला कर मुझे
दो। पर यह इस लिए आप कह सकते हैं क्योंकि सामने केवल चार कुरसिया हैं अगर चार
कुर्सीयों की जगह 200 कुर्सी हो तब आप इस प्रकार से अपने दोस्त को कमांड नहीं कर
सकते जैसा अभी ऊपर किया हैं।
इस
समस्या का सही हल यह हैं की अगर हर कुर्सी का अपने कोई नाम हो यानि अपनी कोई पहचान
(identification) हो तो
आपका दोस्त रवि बिना किसी परेशानी के आपको आपके मन का बैग ल कर दे सकता हैं। जैसा
की नीचे चित्र मे दर्शाया गया हैं।
ऊपर
दिये चित्र मे आप देख सकते हैं की नीचे दिख रहा आदमी अपने दोस्त रवि से कह रहा हैं
की उसे b नाम की कुर्सी मे रखा
हुआ बैग चाहिए। रवि आसानी से कुर्सीयो को देखेगा जिसमे b
लिखा होगा उसे बैग उठा कर अपने दोस्त को दे देगा।
ठीक
इसी प्रकार कम्प्युटर मे कई डाटा को स्टोर करने के लिए कई खाने होते हैं जिसमे अलग
अलग डाटा मौजूद होते हैं, इन खानो को अलग अलग नाम दिया जाता हैं और यही वेरिएबल कहलाते हैं। नीचे दिये
चित्र को ध्यान से देखे।
ऊपर दिये
चित्र मे आप देख सकते हैं, कई खाने बने हुये हैं। जिसमे हर खाने का अपना एक इंडेक्स/ एड्रैस हैं, इन्ही खाने मे से एक खाने मे वैल्यू स्टोर हैं “rahul” और इस वैल्यू को प्रोग्राम मे उपयोग करने के लिए इस खाने को एक नाम देना
होगा जिसे उपयोग कर, खाने की वैल्यू को प्रोग्राम मे प्रयोग किया
जा सकता हैं। तो उस खाने का वेरिएबल नेम “name” रखा गया हैं।
जो वैल्यू “rahul” को पॉइंट कर रही हैं।
आशा करता
हु की आपो वेरिएबल का उपयोग समझ मे आया हो।
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