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Thursday, 18 August 2016

Decision Making Statement



(डिसीजन मेकिंग स्टेटमेंट) Decision Making Statement

सी-भाषा का उपयोग प्रोग्राम बनाने के लिए किया जाता हैं, पहले के समय मे प्रोग्राममिंग का उपयोग सांखिया गणना (numeric processing) करने के लिए किया जाता था। पर धीरे धीरे प्रोग्रामिंग लैंगवेज के विकास के साथ प्रोग्राममिंग की सीमाएं बढ़ती गई, जिसके अंतर्गत अब कई प्रकार की समस्यायों को हल करने के लिए प्रोग्रामिंग की जाने लगी। जिसकी वजह से प्रोग्राममिंग मे विशेष गुणो की आवश्यकता भी पड़ने लगी। जिसमे मुख्य गुण हैं डिसीजन मेकिंग और लूपिंग।

डिसीजन मेकिंग स्टेटमेंट का उपयोग प्रोग्राम मे एक से ज्यादा परिणामो के विकल्प बनाने के लिए उपयोग किया जाता हैं। जिससे कम्प्युटर किसी भी इनपुट के आधार पर निर्णय यानि डिसीजन ले सके। बहुत ही साधारण शब्दो मे कहे तो सी प्रोग्राम मे ऐसे स्टेटमेंट जिनका उपयोग डिसीजन लेने के लिए किया जाए उन्हे डिसीजन मेकिंग स्टेटमेंट कहते हैं।“

वर्तमान मे किसी भी प्रोग्राम मे इनपुट रन-टाइम मे दिया जाता हैं, इसलिए प्रोग्राम को इस तरह बनाया जाता हैं की वह इनपुट के आधार पर प्रोग्राम के परिणाम को तय कर सके। इसके लिए प्रोग्रामर प्रोग्राम मे विकल्प (option) बनाते हैं, जिसके लिए डिसीजन मेकिंग स्टेटमेंट का उपयोग किया जाता हैं।

डिसीजन मेकिंग की आवश्यकता कब पड़ती हैं? डिसीजन मेकिंग की आवश्यकता प्रोग्राम मे उस समय पड़ती हैं जब आप इनपुट्स लेते हैं, और उस इनपुट से दो या दो से ज्यादा परिणाम संबन्धित हो, तब आपको डिसीजन मेकिंग का उपयोग करना होता हैं।

माना हमने एक प्रोग्राम बनाने जा रहे हैं जिसमे हम संख्या को इनपुट करेंगे यह संख्या किसी विषय मे मिले नंबर हैं, जैसे ही कम्प्युटर मे हम संख्या डाले तो कम्प्युटर यह बता दे की इनपुट की गई वैल्यू, पास हैं या फ़ैल हैं। जैसे 32 डालू तो कम्प्युटर बता दे की फ़ैल और 54 डालू तो बता दे की पास।

आंगे बढ़ाने से पहले आप को यह सुनिश्चित हो जाना चाहिए की ऊपर दिया प्रोग्राम का कार्य आपको समझ मे आ गया। अब जैसा की अपने देखा की जैसे ही हम कोई संख्या कम्प्युटर मे डालते हैं, कम्प्युटर को दो विकल्पो (पास या फ़ैल) मे से एक विकल्प का चयन करना होता हैं। पर कम्प्युटर कैसे पता करेगा की जो संख्या इनपुट की गई हैं, वह पास विकल्प की हैं या फ़ैल विकल्प की हैं। यही पर डिसीजन मेकिंग स्टेटमेंट का महत्व प्रारम्भ होता हैं। कम्प्युटर किसी भी डिसीजन को लेने के लिए प्रोग्राम मे लिखे डिसीजन मेकिंग स्टेटमेंट को पढ़ता हैं, फिर निर्णय (डिसीजन) लेता हैं।

सी-प्रोग्राममिंग मे डिसीजन लेने के लिए निम्न स्टेटमेंट का उपयोग किया जा सकता हैं।


5 – switch statement
6 – nested switch statement
7 – ternary operator [ओपेरेटर सेक्शन मे वर्णित हैं]

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