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Saturday, 30 July 2016

Variable Declaration, intialization and assignment



वेरिएबल डिक्लारेशन (वेरिएबल की घोषणा)

प्रोग्राम मे आकड़ो या डाटा को उपयोग करने के लिए उसे एक नाम दिया जाता हैं जिसे हम वेरिएबल के नाम से जानते हैं। पर यह नामकरण कैसे होता हैं इसका एक विधि होती हैं जिसे हम इस सेक्शन मे जानेंगे। सबसे पहले आप को यह पता होना चाहिए की नामकरण की इस प्रक्रिया को सी भाषा मे वेरिएबल घोषणा तथा अँग्रेजी मे वेरिएबल डिक्लारेशन कहते हैं।
वेरिएबल के नाम का चयन निम्न बिन्दुओ के आधार मे किया जाता हैं।

1 – एक वेरिएबल-नेम अल्फा-न्यूमेरिक अक्षरो का समूह हो सकता हैं। जैसे std12, a1, a2 ये सभी मान्य हैं।

2 – किसी भी वेरिएबल-नेम का पहला अक्षर न्यूमेरिक (नंबर) नहीं होना चाहिए। जैसे 1a, 2std ये अमान्य हैं।

3 – किसी भी वेरिएबल-नेम का पहला अक्षर अल्फाबेट या अंडरस्कोर “_” से प्रारम्भ होना चाहिए। std, a24, _gh, _nam आदि मान्य हैं।

4 – वेरिएबल-नेम केस सेंसेटिव होते हैं यानि std और Std दोनों अलग अलग वेरिएबल-नेम हैं, क्योंकि पहले मे प्रयुक्त सभी अक्षर छोटे हैं, पर दूसरे वेरिएबल-नेम मे पहला अक्षर बड़ा हैं।

5 -  की-वर्ड वेरिएबल-नेम के रूप मे उपयोग नहीं किया जा सकता हैं।

6 – वेरिएबल-नेम के बीच मे कोई भी स्पेशल कैरेक्टर उपयोग नहीं किया जा सकता हैं। जैसे सेमीकालम, हैश, डॉलर, व्हाइट-स्पेस आदि वर्जित हैं।
अब देखते हैं की वेरिएबल का डिक्लारेशन (वेरिएबल को परिभाषित) कैसे करते हैं। वेरिएबल को परिभाषित करने के लिए डाटा टाइप और वेरिएबल नेम (आइडेंटिफ़ायर्स) की आवश्यकता होती हैं। जैसे 

1 – अगर आप बिना दशमलव की संख्या को स्टोर करने के लिए वेरिएबल बना रहे हैं तो आपको इंटीजर डाटा टाइप का चयन करना चाहिए। इंटीजर डाटा टाइप मुख्य रूप से तीन प्रकार से उपयोग किए जा सकते हैं।
1-  इंटीजर
2-  शॉर्ट इंटीजर
3-  लॉन्ग इंटीजर

1 – इंटीजर

इंटीजर मे वेरिएबल को परिभाषित करने के लिए int कीवर्ड का उपयोग करते हैं। अगर आप -32768 से 32767 तक संख्या को स्टोर करने के लिए वेरिएबल बनाना हैं तो निन तरीके से आप लिखे।
int a ; या signed int a;
यदि आप 0 to 65,535 तक की संख्या को वेरिएबल मे स्टोर करना चाहते हैं तो निम्न तरीके से आपको वेरिएबल परिभाषित करना होगा।
unsigned int a;

2 – शॉर्ट इंटीजर

शॉर्ट इंटीजर मे वेरिएबल परिभाषित करने के लिए short int कीवर्ड का इस्तेमाल करते हैं। 0 से 255 तक की वैल्यू को स्टोर करने के लिए निम्न तरीके से लिखना होता हैं।
Unsigned short int a;
और -128 से 127 तक की वैल्यू को स्टोर करने के लिए निम्न तरीके से लिखा जा सकता हैं।
Signed short int a; या short int a;

3 – लॉन्ग इंटीजर 

लॉन्ग इंटीजर वेरिएबल को परिभाषित करने के लिए long int कीवर्ड का इस्तेमाल करते हैं। तथा आप -2,147,483,648 से 2,147,483,647 तक की वैल्यू को वेरिएबल मे स्टोर करने के लिए signed long int का इस्तेमाल करते हैं तथा  0 से 4,294,967,295 तक की वैल्यू को स्टोर करने के लिए unsigned long int लिखना होता हैं।

2 – अगर आपको दशमलव संख्या को स्टोर करना चाहते हैं तो आप निम्न तरीके से कर सकते हैं जैसे –
float a ;
double a;
long double a;
float का इस्तेमाल आप जब करते हैं जब आपको दशमलव युक्त किसी संख्या को वेरिएबल मे स्टोर करना हो। इसकी रेंज 1.2E-38 से 3.4E+38 तथा इससे ज्यादा रेंज की संख्या को स्टोर करने के लिए double का इस्तेमाल करते हैं जिसकी रेंज 2.3E-308 से 1.7E+308 हैं और इससे भी ज्यादा रेंज की संख्या को स्टोर करने के लिए long double डाटा टाइप का इस्तेमाल करते हैं। जिसकी रेंज 3.4E-4932 से 1.1E+4932 तक होती हैं

वेरिएबल initialization

वेरिएबल इनीसियलाइज़ेशन का तात्पर्य वेरिएबल को प्रथम बार कोई वैल्यू देना कहलाता हैं। वेरिएबल को परिभाषित करने के बाद, वेरिएबल मे पहली बार कोई वैल्यू इन्सर्ट करने की प्रक्रिया वेरिएबल इनीसियलाइजेशन कहलाता हैं। जैसे
int a ;
अभी अभी हमने ऊपर एक वेरिएबल को परिभाषित किया हैं, जिसका प्रकार हमने int रखा हैं। यह कम्प्युटर की मेमोरी मे 2 byte की जगह लेगा, जिसमे आप -32768 से 32767 तक की संख्या को वैल्यू के रूप मे इस वेरिएबल मे स्टोर कर सकते हैं।
a = 2;
अब आप देखेंगे की a की परिभाषा के बाद यह पहला मौका हैं जहां पर हम a नाम के स वेरिएबल मे कोई वैल्यू को स्टोर कर रहे हैं। यह प्रक्रिया वेरिएबल इनीसियलाइजेशन कहलाती हैं।

वेरिएबल असाइनमेंट 

वेरिएबल असाइनमेंट का तात्पर्य हैं, की वेरिएबल मे स्टोर पुरानी वैल्यू को हटकर उस वेरिएबल मे कोई नई वैल्यू को स्टोर कर देना। कोई भी वेरिएबल प्रोग्राम के क्रियान्वयन के समय कई बार उपयोग मे लाया जाता हैं, इस दौरान कई बार उसकी वैल्यू को प्रोग्राम प्रोसेस करता हैं और पुरानी वैल्यू की जगह नई वैल्यू को स्टोर कर देता हैं।
जैसे
int a;
ऊपर दिया कोड वेरिएबल डिक्लारेशन हैं, जहा पर a नाम का वेरिएबल बनाया हैं, जिसका प्रकार int (इंटीजर) हैं।


a = 2;
ऊपर हमने वेरिएबल को वैल्यू 2 से इनीसियलाइज किया हैं।
a = 5 ;
अब आप देख रहे हैं की a मे 5 को स्टोर किया गया हैं, क्योंकि 5 पहली वैल्यू नहीं हैं जो a मे स्टोर की गई हो, इसके पहले 2 को a मे स्टोर किया जा चुका हैं। इस लिए इस बार जब 5 को a मे स्टोर किया गया तो, यह प्रक्रिया असाइनमेंट कहलाई जाएगी।
 

Thursday, 14 July 2016

Variable in c


वेरिएबल :

वेरिएबल किसी संख्या या वैल्यू को प्रदर्शित (represent) करने वाला एक नाम होता हैं, वेरिएबल लेटिन भाषा के एक शब्द “वेरियाबिलिस” से जन्मा हैं। वेरी शब्द का अर्थ विभिन्न होता हैं जबकि एबिलिस का अर्थ “क्षमता या योग्य” होता हैं। जिसका पूर्ण अर्थ बंनता है “बदलाव की क्षमता” ।

कम्प्युटर प्रोग्रामिंग मे वैल्यू को प्रदर्शित करने के लिए हम नाम का उपयोग करते हैं। कम्प्युटर प्रोग्रामिंग मे दो प्रकार से वैल्यू को प्रदर्शित करने के लिए नाम का निर्धारण किया जाता हैं।

      2 – वेरिएबल

परंतु वेरिएबल और कॉन्स्टेंट दोनों वैल्यू को प्रदर्शित (represent) करती हैं, पर दोनों ही अलग इकाई हैं। कॉन्स्टेंट मे वैल्यू बार बार नहीं बदलती हैं, जबकि वेरिएबल मे पूरे प्रोग्राम एक्सक्यूशन के दौरान वेरिएबल की वैल्यू कई बार बदल सकती हैं। एसा सिर्फ इस लिए हो सकता हैं क्योंकि वेरिएबल मे असाइनमेंट-आपरेटर (=) कार्य कर सकता हैं। जबकि कॉन्स्टेंट मे असाइनमेंट-आपरेटर (=) कार्य नहीं करता हैं।

वेरिएबल का नाम एक आइडेंटिफ़ायर हैं।  इसलिए अगर आपको यह जानना हो की वेरिएबल का नाम कैसे रखा जाता हैं तो उसके लिए आपको आइडेंटिफ़ायर का आर्टिकल पढ़ना होगा।

अब वेरिएबल का दूसरा पहलू जानते हैं, की यह किस तरह से कार्य करती हैं। प्रोग्राम का कार्य हैं आंकड़ो को प्रोसेस करना, यह आकडे ज़्यादातर यूजर द्वारा प्रोग्राम मे दिये जाते हैं, जिन्हे इनपुट के नाम से भी जाना जाता हैं। इन इनपुट को प्रोग्राम के क्रियान्वयन के पूरे हो जाने तक इन्हे सुरक्षित रखना होता हैं। इसके लिए सी भाषा इन इनपुट को कम्प्युटर के मेमोरी मे स्थान देता हैं। कम्प्युटर डाटा को मेमोरी के जिस स्थान मे रखता हैं कम्प्युटर उसे एक नाम देता हैं जो प्रोग्रामर द्वारा प्रोग्राम के शुरू मे ही निर्धारित किया गया होता हैं। जिससे प्रोग्रामर को उस स्थान मे रखे डाटा को प्रोसेस करने मे दिक्कत न हो। क्यो की प्रोग्रामर कई बार उस डाटा को प्रोसेस करने के लिए इन्सट्रक्शन लिखेगा, जिसमे वह किस डाटा को प्रोसेस कर रहा हैं, यह जब ही पता लग पाएगा, जब वह डाटा के लोकेशन को दिये गए नाम (वेरिएबल नेम) का उपयोग करेगा।

अब वेरिएबल के बारे मे एक उदाहरण के माध्यम से समझने की कोसिस करते हैं। माना आपके सामने चार कुर्सी राखी हुई हैं जिनका रंग लाल हैं उन कुर्सीयों के पास आपका एक दोस्त खड़ा हुआ हैं जिसका नाम रवि हैं, चारो कुर्सी मे पीले रंग का बैग हैं जैसा की नीचे दिये चित्र मे दिख रहा हैं।


हरे रंग का तीर यह बता रहा हैं की आपको इस बैग की आवश्यकता हैं। अब आप अपने दोस्त को कैसे कहेंगे की आपको कौन से बैग की जरूरत हैं। आप सोच रहे होंगे की इसमे कौन सी बड़ी बात हैं। हम अपने दोस्त को कह देंगे बाए से दूसरे कुर्सी का बैग ला कर मुझे दो। पर यह इस लिए आप कह सकते हैं क्योंकि सामने केवल चार कुरसिया हैं अगर चार कुर्सीयों की जगह 200 कुर्सी हो तब आप इस प्रकार से अपने दोस्त को कमांड नहीं कर सकते जैसा अभी ऊपर किया हैं।


इस समस्या का सही हल यह हैं की अगर हर कुर्सी का अपने कोई नाम हो यानि अपनी कोई पहचान (identification) हो तो आपका दोस्त रवि बिना किसी परेशानी के आपको आपके मन का बैग ल कर दे सकता हैं। जैसा की नीचे चित्र मे दर्शाया गया हैं।


ऊपर दिये चित्र मे आप देख सकते हैं की नीचे दिख रहा आदमी अपने दोस्त रवि से कह रहा हैं की उसे b नाम की कुर्सी मे रखा हुआ बैग चाहिए। रवि आसानी से कुर्सीयो को देखेगा जिसमे b लिखा होगा उसे बैग उठा कर अपने दोस्त को दे देगा।

ठीक इसी प्रकार कम्प्युटर मे कई डाटा को स्टोर करने के लिए कई खाने होते हैं जिसमे अलग अलग डाटा मौजूद होते हैं, इन खानो को अलग अलग नाम दिया जाता हैं और यही वेरिएबल कहलाते हैं। नीचे दिये चित्र को ध्यान से देखे।


ऊपर दिये चित्र मे आप देख सकते हैं, कई खाने बने हुये हैं। जिसमे हर खाने का अपना एक इंडेक्स/ एड्रैस हैं, इन्ही खाने मे से एक खाने मे वैल्यू स्टोर हैं “rahul” और इस वैल्यू को प्रोग्राम मे उपयोग करने के लिए इस खाने को एक नाम देना होगा जिसे उपयोग कर, खाने की वैल्यू को प्रोग्राम मे प्रयोग किया जा सकता हैं। तो उस खाने का वेरिएबल नेम “name” रखा गया हैं। जो वैल्यू “rahul” को पॉइंट कर रही हैं।

आशा करता हु की आपो वेरिएबल का उपयोग समझ मे आया हो।

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