सी भाषा का महत्व
कई महत्वपूर्ण गुणे की वजह से सी भाषा कि लोकप्रियता का इजाफा हुआ है। यह रोबस्ट लैंग्वेज है जिसमे बिल्ट-इन-फंक्शन और आपरेटर का खजाना है। जिनका उपयोग का काई समान्य प्रोग्रामर भी जटिल से जटिल प्रोग्राम को बना सकते है। सी भाषा का कम्पाइलर असेंबली भाषा के क्षमताओ के साथ साथ हाई लेवल के गुणो मिला कर एक रूप् मे कार्य करती है। इस लिए इस भाषा का प्रयोग एप्लीकेशन के अलावा सिस्टम प्रोग्राम बनाने के लिए भी होता है।
सी भाषा मे प्रोग्राम लिखना बहुत हि सरल, तेज तथा प्रभावी क्रियान्वयन होता है। और यह इसलिए सम्भव है क्योकि सी भाषा मे डाटा टाइप की बहुत वेराइटी तथा ताकतवर आॅरेटर होते है। उस समय कि मौजूद बेसिक भाषा से कई गुना यह भाषा तेज है। जो कार्य बेसिक 50 सेकेंड मे करता था वही कार्य सी भाषा एक सेकेंड मे कर सकती है।
आंसी सी मे कुल 32 की-वर्ड है, सी भाषा को असानी से पोर्ट किया जा सकता है। जिसका अर्थ यह है कि अगर कोई प्रोग्रामर ने सी प्रो्रग्राम को किसी एक कम्प्यूटर मे बनाया है और वह उस प्रोग्राम को किसी दूसरे कम्प्यूटर मे रन करना चाहता है। और वह प्रोगाम दूसरे कम्प्यूटर मे रन हो जाए तो उसे पोर्टेबल कहेंगे और यह गुण सी भाषा मे होता है। सी भाषा स्ट्रक्चर्ड प्रोगामिंग पर अधारित होता है। जिसमे प्रोग्रामर पूरे प्रोग्राम को ब्लाक्स और माॅड्यूल के रूप मे तोड कर प्रोग्राम का निर्माण कर सकते है। और इस वजह से आप सी मे जटिल से जटिल प्रोग्राम को बना सकते है। माॅड्यूल या ब्लाक के रूप् मे प्रोग्राम लिखने से प्रोग्राम को बनाने मे सहजता होती है तथा प्रोगाम को देख कर असानी से समझा जा सकता है। क्योकी प्रोग्राम को अलग अलग कार्यो को अलग अलग फंक्शन के रूप मे बांट दिया जाता है।
सी भाषा अपने को बढाने के क्षमताए भी रखता है। जैसा कि अभी अभी उपर बताया गया है कि सी भाषा कई फंक्शन का समूह होता है। और अगर प्रोग्रामर चाहे तो वह अपने नए फंक्शन का निमार्ण कर सी भाषा के लाइबे्ररी मे जोड सकता है। जिस फंक्शन का उपयोग दूसरे प्रोगामर भी कर सकते है। और जितने नए फंक्शन सी भाषा मे जुडते जाएंगे प्रोग्रामर के लिए सी भषा मे प्रोग्राम बनाना उतना हि सरल होता जाएगा।
कैरेक्टर सेट
कई महत्वपूर्ण गुणे की वजह से सी भाषा कि लोकप्रियता का इजाफा हुआ है। यह रोबस्ट लैंग्वेज है जिसमे बिल्ट-इन-फंक्शन और आपरेटर का खजाना है। जिनका उपयोग का काई समान्य प्रोग्रामर भी जटिल से जटिल प्रोग्राम को बना सकते है। सी भाषा का कम्पाइलर असेंबली भाषा के क्षमताओ के साथ साथ हाई लेवल के गुणो मिला कर एक रूप् मे कार्य करती है। इस लिए इस भाषा का प्रयोग एप्लीकेशन के अलावा सिस्टम प्रोग्राम बनाने के लिए भी होता है।
सी भाषा मे प्रोग्राम लिखना बहुत हि सरल, तेज तथा प्रभावी क्रियान्वयन होता है। और यह इसलिए सम्भव है क्योकि सी भाषा मे डाटा टाइप की बहुत वेराइटी तथा ताकतवर आॅरेटर होते है। उस समय कि मौजूद बेसिक भाषा से कई गुना यह भाषा तेज है। जो कार्य बेसिक 50 सेकेंड मे करता था वही कार्य सी भाषा एक सेकेंड मे कर सकती है।
आंसी सी मे कुल 32 की-वर्ड है, सी भाषा को असानी से पोर्ट किया जा सकता है। जिसका अर्थ यह है कि अगर कोई प्रोग्रामर ने सी प्रो्रग्राम को किसी एक कम्प्यूटर मे बनाया है और वह उस प्रोग्राम को किसी दूसरे कम्प्यूटर मे रन करना चाहता है। और वह प्रोगाम दूसरे कम्प्यूटर मे रन हो जाए तो उसे पोर्टेबल कहेंगे और यह गुण सी भाषा मे होता है। सी भाषा स्ट्रक्चर्ड प्रोगामिंग पर अधारित होता है। जिसमे प्रोग्रामर पूरे प्रोग्राम को ब्लाक्स और माॅड्यूल के रूप मे तोड कर प्रोग्राम का निर्माण कर सकते है। और इस वजह से आप सी मे जटिल से जटिल प्रोग्राम को बना सकते है। माॅड्यूल या ब्लाक के रूप् मे प्रोग्राम लिखने से प्रोग्राम को बनाने मे सहजता होती है तथा प्रोगाम को देख कर असानी से समझा जा सकता है। क्योकी प्रोग्राम को अलग अलग कार्यो को अलग अलग फंक्शन के रूप मे बांट दिया जाता है।
सी भाषा अपने को बढाने के क्षमताए भी रखता है। जैसा कि अभी अभी उपर बताया गया है कि सी भाषा कई फंक्शन का समूह होता है। और अगर प्रोग्रामर चाहे तो वह अपने नए फंक्शन का निमार्ण कर सी भाषा के लाइबे्ररी मे जोड सकता है। जिस फंक्शन का उपयोग दूसरे प्रोगामर भी कर सकते है। और जितने नए फंक्शन सी भाषा मे जुडते जाएंगे प्रोग्रामर के लिए सी भषा मे प्रोग्राम बनाना उतना हि सरल होता जाएगा।
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