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Friday, 17 June 2016

First Program in C / सी भाषा मे पहला प्रोग्राम



सी भाषा मे पहला प्रोग्राम

सी मे प्रोग्रामिंग करने से पहले सी प्रोग्राम को कैसे लिखा जाता हैं उसके बारे मे कुछ नियम जान लेना बहुत ही जरूरी हैं। जिसे नीचे दिये बिन्दुओ द्वारा बताया जा रहा हैं।

1-  सी प्रोग्राम मे हेडर फ़ाइल सम्मालित किया जाता हैं। जिससे कम्प्युटर को आपके प्रोग्राम मे उपयोग होने वाले फंक्शन के कार्यो की जानकारी हो सके।

2-  सी मे बनाए प्रोग्राम मे main() नाम के फंक्शन होना बहुत ही अनिवार्य हैं।

3-  एक प्रोग्राम मे केवल एक ही main() होता हैं।

4-  सी प्रोग्राम का क्रियान्वयन main() से ही होता हैं।

5-  अगर सी भाषा मे main() नहीं हैं तो प्रोग्राम किसी भी हालत मे नहीं चलेगा।

6-  प्रोग्राम मे उपयोक्त होने वाले सभी कमांड और फंक्शन का प्रयोग main() के बाद लगे “{” “}” कर्ली ब्रसेस के बीच मे ही करना चाहिए।

7-  आमतौर मे सी मे सभी स्टेटमेंट अँग्रेजी के लोवर केस मे ही लिखना चाहिए। 

8-  अँग्रेजी के अपर केस का प्रयोग केवल सांकेतिक नाम, आउटपुट स्ट्रिंग और संदेशो के लिए ही करना चाहिए।

9-  सी प्रोग्राम मे सभी स्टेटमेंट यानि इन्सट्रक्शन को सेमीकालन की सहायता से बंद करना चाहिए।

10-    प्रोग्राम कमेंट लिखने की आदत डाले। कमेन्ट आपको और दूसरे नए प्रोग्रामर को प्रोग्राम के प्रोसीजर के बारे जानकारी देता हैं। जिससे प्रोग्राम ओ समझने मे आसानी होती हैं।

11-    {  }” कर्ली ब्रसेस का प्रयोग कोड का समूह बनाने के लिए होता हैं। और वह कोड सिर्फ उसी समूह के लिए करते हैं।


Application of C Language



एप्लिकेशन ऑफ सी प्रोग्राम

सी प्रोग्रामिंग को मुख्य रूप मे प्रोग्राममिंग भाषा के रूप मे जाना जाता हैं। जिसका प्रयोग कर कम्प्युटर आधारित कई प्रोग्राम लिख सकते हैं। सी को मिडिल लेवेल प्रोग्रामिंग भी कहा जाता हैं क्योंकि यह प्रोग्रामर को हाइ लेवल प्रोग्रामिंग सुविधा तो देती हैं साथ मे कम्प्युटर हार्डवेयर को मशीन लेवल भाषा की सुविधा देती हैं इसलिए इसे मिडिल लेवल प्रोग्रामिंग कहा जाता हैं।

सी भाषा क्यो एक मिडिल लेवल प्रोग्रामिंग हैं?

1-  सी प्रोग्रामिंग इनलाइन असेंबली प्रोग्राम को सपोर्ट करती हैं। यानि आप सी भाषा का उपयोग कर असेंबली के कोड इसमे उपयोग कर सकते हैं।

2-   इनलाइन असेंबली का प्रयोग कर प्रोसेसर के रजिस्टर को सीधे सीधे एक्सेस किया जा सकता हैं।

3-  पॉइंटर का प्रयोग कर कम्प्युटर मेमोरी को मनचाहा एक्सेस किया जा सकता हैं।

4-  सी प्रोग्राम हाइ लेवेल सुविधा प्रदान करता हैं जिससे प्रोग्रामर को इसमे प्रोग्रामिंग करने मे आसानी होती हैं।

5-  प्रोग्रामर सी भाषा को आसानी से समझ सकता हैं क्योंकि इसके ज्यादा तर कमण्ड्स अँग्रेजी भाषा के शब्दो पर हैं जिससे कमण्ड्स को याद रखना असान हैं।

सी प्रोग्रामिंग के उपयोग निम्न प्रकार से हैं।

1-  कम्प्युटर एप्लिकेशन का निर्माण करने के लिए सी भाषा का प्रयोग किया जाता हैं।

2-  एम्बेडेड सोफ्टवेयर को लिखने के लिए सी भाषा का प्रयोग होता हैं। एम्बेडेड सोफ्टवेयर वह सोफ्टवेयर होते हैं जो मशीन और डिवाइस को कंट्रोल करने के लिए बनाए जाते हैं।

3-  फिर्मवेयर सोफ्टवेयर को बनाने के लिए सी भाषा का प्रयोग होता हैं। यह एसे प्रोग्राम होते हैं जो किसी डिवाइस मे सुरक्षित होते हैं, जैसे टीवी का रिमोट, फ्रिज का मेनू, टेलीफोने की डाइलिंग स्क्रीन आदि।

4-  सी भाषा का उपयोग कई दूसरे प्रोग्रामिंग हश का कंपाइलर बनाने के लिए किया जाता हैं। 

5-  सी भाषा के उपयोग से यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का कर्नल बनाया गया हैं।

6-  सी का प्रयोग कई प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम के आपरेशन को क्रियान्वित करने के लिए किया जाता हैं।

7-  सी भाषा का उपयोग कई नेटवर्किंग और ऑपरेटिंग सिस्टम के एल्गोरिदम्स के लिए भी किया जाता हैं।

8-  सी भाषा का प्रयोग कर कई डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम लिखे गए हैं।

9-  सी भाषा का प्रयोग कर प्रिंटर स्पूलर बनाए गए हैं। स्पूलर एक सोफ्टवेयर होता हैं जो कम्प्युटर से भेजे गए सभी प्रिंटिंग जॉब को मैनेज करता हैं।

10-    सी भाषा का प्रयोग कर सिमुलेटर का निर्माण भी किया जाता हैं। सिमुलेटर एक एप्लिकेशन होता हैं जो कम्प्युटर या कम्प्युटर से जुड़े नेटवर्क के किसी तंत्र के व्यवहार की गणना करता हैं।

Features of C Programming



सी भाषा के गुण :-

कम्प्युटर सर्विसेस मे सी प्रोग्रामिंग का बहुत ही उपयोग हैं तथा सी दूसरी नई भाषाओ का आदर्श भी माना जाता हैं। सी भाषा का प्रयोग कई प्रकार के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया जाता हैं। आखिर ऐसा क्या खास हैं सी भाषा मे जो उसके इस लोकप्रियता का कारण हैं तो निम्न दिये बिन्दुओ के माध्यम से हम सी भाषा के गुणो को जानते हैं।

1- लो लेवल भाषा को सपोर्ट करना :-

सी प्रोग्रामिंग लो लेवल भाषा को सपोर्ट करती हैं, आप सी भाषा का प्रयोग कर आप असेंबली भाषा के प्रोग्राम को क्रियान्वित कर सकते हैं। जिसकी वजह से सी भाषा भी लो लेवेल भाषा की तरह कार्य करती हैं।
सी भाषा का प्रयोग कर आप काफी सरलता से असेंबली भाषा का कोड लिख कर प्रोग्राम बना सकते हैं जैसे नीचे दिया हुआ हैं।

2- पोर्टबिल्टी

सी भाषा मे बनाए गए प्रोग्राम किसी भी दूसरे कंपाईलर मे थोड़ बदलाव या बिना किसी बदलाव के क्रियान्वित हो सकते हैं। इस लिए सी भाषा मे बनाए गए प्रोग्राम पोर्टेबल होते हैं।
कंपाइलर और प्री- प्रोसेसर की वजह से सी भाषा के प्रोग्राम अलग अलग कम्प्युटर मे रन हो सकते हैं।

3- पावरफुल

सी भाषा कई प्रकार के डाटा टाइप की सुविधा प्रदान करता हैं
पहले से बने हुए कई महत्वपूर्ण फंक्शन हैं जिसका प्रयोग कर आपने तरह तरह के समस्याओ को हल करने के लिए प्रोग्राम बना सकते हैं।
सी भाषा मे कई उपयोगी और महत्वपूर्ण डिसीजन मेकिंग और लूपिंग स्टेटमेंट की सुविधा होती हैं। जो भाषा को और ताकतवर बनाता हैं।

4- बिट मैनीपूलेशन

बिट का प्रयोग कर सी की प्रोग्रामिंग की जा सकती हैं। बिट लेवेल मे कई आपरेशन आप सी प्रोग्राम की सहायता से कर सकते हैं। बिट लेवल मे मेमोरी रिप्रजेंटेशन को मैनेज किया जा सकता हैं
सी प्रोग्रामिंग मे बिटवाइज़ ऑपरेटर का प्रयोग कर बिट स्तर पर डाटा को प्रोसेस किया जा सकता हैं।

5- हाइ लेवेल के गुण :

यह पुरानी भाषाओ के मुक़ाबले यूजर फ्रेंडली भाषा हैं जो की डाटा को मैनेज करने के लिए कई अच्छे सुविधाए प्रदान करती हैं, जिससे प्रोग्रामिंग करना सरल हो गया हैं।
सी मे पुरानी भाषाओ के सभी महत्वपूर्ण गुणो को शामिल किया गया हैं। जिसकी वजह से सी और प्रभावशाली भाषा के रूप मे मौजूद हैं।

6- मॉडुलर प्रोग्रामिंग :-

मॉडुलर प्रोग्रामिंग एक सोफ्टवेयर डिज़ाइन तकनीक हैं, जिसमे पोग्राम के सभी फंक्शन को अलग अलग परिभाषित कर एक जगह पर आवश्यक पड़ने पर उपयोग किया जाता हैं।

7- पॉइंटर का प्रभावशाली उपयोग

सी प्रोग्रामिंग भाषा मे एक बहुत ही महत्वपूर्ण गुण का प्रयोग किया गया पॉइंटर, जिसका प्रयोग कर मेमोरी को सीधे सीधे एक्सेस किया जा सकता हैं।

8- प्रसारित करने का गुण

सी भाषा मे आवश्यकता पड़ने पर प्रोग्रामर अपनी आवश्यकता के आधार पर नए फंक्शन का निर्माण कर सकता हैं तथा उन फंक्शन का प्रयोग किसी दूसरे प्रोग्राम मे भी कर सकता हैं।  जिससे सी अपने को नए फंक्शनों के साथ प्रसार भी कर सकता हैं।

Methodology of C Programming


सी प्रोग्रामिंग मेथडोलॉजी

सी भाषा प्रोसीजरर प्रोग्रामिंग भाषा हैं जिसमे प्रोग्राम बनाने के लिए प्रोसीजर का प्रयोग करते हैं। जिसका अर्थ हैं की प्रोग्राम ज़्यादातर पहले से बनाए गए फंक्शन की सहायता से क्रियान्वित किए जाएंगे। प्रोसीजर को दूसरी भाषा मे फंक्शन भी कहते हैं। पूरे प्रोग्राम को छोटे छोटे प्रोसीजर मे तोड़ा जाता हैं। इन्हे बहुत सही तरीके से व्यवस्थित किया जाता हैं। और जरूरत पड़ने पर प्रोसीजर को कल किया जाता हैं। इसके प्रयोग से प्रोग्रामिंग करना आसान और प्रोग्राम को समझने की जटिलता खत्म हो जाती हैं। प्रोसीजर प्रोग्रामिंग मे ज्यादा ध्यान फंक्शन मे दिया जाता हैं न की इसके डाटा मे जो इसके कमियो मे गिना जाता हैं। प्रोग्राम को बनाने के लिए दो विधियो का प्रयोग होता हैं। “टॉप डाउन” और “बॉटम अप” प्रोसीजर प्रोग्रामिंग मे टॉप डाउन विधि का प्रयोग होता हैं।

टॉप डाउन : - यह एक ऐसी विधि हैं जिसमे हम सबसे पहले उस फंक्शन को लिखते हैं जिसे main() फंक्शन कहते हैं। इसके बाद जरूरत के हिसाब से पूरे प्रोग्राम को अलग अलग ब्लोक्स यानि फंक्शन मे बाँट देते हैं। यहाँ पर यह भी ध्यान दे की जिन फंक्शन का हम निर्माण भी नहीं किए होते हैं हम उन्हे main () फंक्शन मे काल कर लेते हैं उसके बाद उनको परिभाषित करते हैं।


बॉटम अप :- बॉटम अप विधि मे पहले किसी समस्या को समझा जाता हैं फिर हर जरूरी हिस्से को अलग किया जाता हैं और उनका  छोटे छोटे फंक्शन के रूप मे निर्माण किया जाता और अंत मे उन्हे उस जगह एकत्रित किया जाता हैं जहां उनका इस्तेमाल होना होता हैं। जबकि टॉप डाउन विधि मे पहले उस जगह का निर्माण करते हैं जहां इन छोटे छोटे फंक्शन का उपयोग होता हैं और फिर इन छोटे छोटे फंक्शन का निर्माण किया जाता हैं। 


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