सी
भाषा प्रोसीजरर प्रोग्रामिंग भाषा हैं जिसमे प्रोग्राम बनाने के लिए प्रोसीजर का
प्रयोग करते हैं। जिसका अर्थ हैं की प्रोग्राम ज़्यादातर पहले से बनाए गए फंक्शन की
सहायता से क्रियान्वित किए जाएंगे। प्रोसीजर को दूसरी भाषा मे फंक्शन भी कहते हैं।
पूरे प्रोग्राम को छोटे छोटे प्रोसीजर मे तोड़ा जाता हैं। इन्हे बहुत सही तरीके से
व्यवस्थित किया जाता हैं। और जरूरत पड़ने पर प्रोसीजर को कल किया जाता हैं। इसके
प्रयोग से प्रोग्रामिंग करना आसान और प्रोग्राम को समझने की जटिलता खत्म हो जाती
हैं। प्रोसीजर प्रोग्रामिंग मे ज्यादा ध्यान फंक्शन मे दिया जाता हैं न की इसके
डाटा मे जो इसके कमियो मे गिना जाता हैं। प्रोग्राम को बनाने के लिए दो विधियो का
प्रयोग होता हैं। “टॉप डाउन” और “बॉटम अप” प्रोसीजर प्रोग्रामिंग मे टॉप डाउन विधि
का प्रयोग होता हैं।
टॉप
डाउन : - यह एक ऐसी विधि हैं जिसमे हम सबसे पहले उस फंक्शन को लिखते हैं जिसे main() फंक्शन कहते हैं।
इसके बाद जरूरत के हिसाब से पूरे प्रोग्राम को अलग अलग ब्लोक्स यानि फंक्शन मे
बाँट देते हैं। यहाँ पर यह भी ध्यान दे की जिन फंक्शन का हम निर्माण भी नहीं किए
होते हैं हम उन्हे main () फंक्शन मे काल कर लेते हैं उसके
बाद उनको परिभाषित करते हैं।
बॉटम
अप :- बॉटम अप विधि मे पहले किसी समस्या को समझा जाता हैं फिर हर जरूरी हिस्से को
अलग किया जाता हैं और उनकाछोटे छोटे
फंक्शन के रूप मे निर्माण किया जाता और अंत मे उन्हे उस जगह एकत्रित किया जाता हैं
जहां उनका इस्तेमाल होना होता हैं। जबकि टॉप डाउन विधि मे पहले उस जगह का निर्माण
करते हैं जहां इन छोटे छोटे फंक्शन का उपयोग होता हैं और फिर इन छोटे छोटे फंक्शन
का निर्माण किया जाता हैं।
वेरियबल सी प्रोग्राममिंग
का एक बहुत ही महत्वपूर्ण इकाई हैं। सी प्रोग्राममिंग मे की वह मेमोरी लोकेशन जहां
पर हम कोई वैल्यू को प्रोग्राम के execution (क्रियान्वयन) के समय रखते हैं, उसे एक नाम दिया जाता हैं
जिसे वेरियबल कहा जाता हैं। जिसके माध्यम से हम उस मेमोरी लोकेशन मे स्टोर वैल्यू
को प्रोग्राम मे उपयोग कर सकते हैं,
उदाहरण के लिए अगर आपके
सामने 5 कुर्सियाँ रखी हुई हैं। उनमे से एक विशेष कुर्सी को आप किसी के माध्यम से
अपने पास लाना चाहते हैं तो आप कैसे किसी व्यक्ति को वह कुर्सी लाने को कहेंगे।
अगर हम हर कुर्सी को एक नाम दे यानि उसमे उसके नाम की चिट लगा दे तो हम अपनी
मनचाही कुर्सी को किसी दूसरे व्यक्ति की सहायता से अपने पास ला सकते हैं। हमे बस
मनचाही कुर्सी का नाम बताना होगा और दूसरा व्यक्ति आपके नाम के बताए अनुसार कुर्सी
मे लगे चिट को पढ़ सही कुर्सी आप को दे देगा।
इसी तरीके से कम्प्युटर की
मेमोरी का नामकरण किया जाता हैं जिससे प्रोग्राम जब रन हो रहा हो तो हम किसी
निश्चित मेमोरी ब्लाक से डाटा को लेकर उसे प्रोसेस कर सके। पर किस मेमोरी ब्लाक से
डाटा लेना है यह कम्प्युटर को कैसे पता होगा? इसी समस्या को हल करने के लिए मेमोरी के उस ब्लाक
मे जहां हमारा डाटा रखा हुआ होता हैं हम उसे एक नाम दे देते हैं। और उस नाम के
सहारे उस मेमोरी ब्लाक मे रखे डाटा को प्रोग्राम के अंदर उपयोग करते हैं।
मेमोरी का प्रोग्राम मे
क्या रोल हैं अब यह प्रश्न उठ रहा होगा? तो पाठको यह बात ध्यान रखे की कम्प्युटर मे करेंट
समय मे जो भी एप्लिकेशन, प्रोसैस आदि आपके कम्प्युटर मे चल रही होती हैं, वह सब मेमोरी मे ही चल
रही होती हैं, यानि आपके रैम मे। और जब भी हम सी मे प्रोग्राम बनाते है तो
ज़्यादातर प्रोग्राम ऐसे होते हैं जिनसे आउटपुट पाने के लिए हमे कुछ वैल्यू इनपुट
करनी होती हैं।
ऊपर दिये गए चित्र को देख
कर आपको मेमोरी यानि रैम की उपयोगिता सी प्रोगाममिंग मे समझ मे आ गाई होगी। अब
चलते हैं यह पता करने की आखिर वेरियबल बनाते कैसे हैं।
वेरियबल की घोषणा [Declaration ऑफ Variable]
वेरियबल की घोषणा करने के
लिए दो कार्य करने होते हैं, पहला यह की वेरियाबल किस प्रकार की वैल्यू को स्टोर करने के
लिए बनाया जा रहा हैं। दूसरा वेरियबल का नाम तय करना की वेरियबल का क्या नाम होगा।
सबसे पहले हम वेरियबल के
प्रकार को निर्धारित करेंगे। वेरियबल का क्या प्रकार होगा इसका पूरा किरदार आपके
अपने समझदारी पर होता हैं, अगर आप प्रोग्रामर हो और मैं आप से यह कहूँ की एक प्रोग्राम
बनाए जिसमे हमे दो संख्याओ को जोड़ना हैं। उसका जो भी रिज़ल्ट आए उसे प्रिंट कराना
हैं?
तब इस स्थिति मे आप को
क्या लगता हैं की किस प्रकार का वेरियबल होना चाहिए, आपने डाटा टाइप पढ़ लिया हैं तो अब आप अपनी समझदारी
का परिचय देते हुये वेरियबल के प्रकार का निर्धारण कर सकते हैं। जैसे इस पैरा मे
दिये केस मे हम integer या float दोनों मे से कोई एक ले सकते हैं। अगर आउटपुट राउंड
फिगर मे चाहिए तो integer चुने अन्यथा float चुने।
अब समय हैं वेरियबल को नाम
देने का जिसके लिए हमे नीचे दिये गए इन नियमो का पालन
करना होगा। वेरियबल बनाने के
नियम इस प्रकार हैं।
1 किसी भी वेरियबल का नाम अँग्रेजी
के अक्षर या फिर अंडरस्कोर “_” से प्रारम्भ होना चाहिए। जैसे – abc,stdname,_roll,_name आदि।
2 वेरियबल के बीच मे कोई भी
स्पेस नहीं होना चाहिए जैसे stu name,fathername आदि गलत वेरियबल नेम हैं क्यूंकी इनके बीच मे स्पेस हैं।
3 अगर दो या दो से अधिक शब्दो
को जोड़ कर वेरियबल नेम बनाना चाहते हो तो अंडरस्कोर का उपयोग करे जैसे – father_name,Teacher_name,school_name आदि।
4 वेरियबल के नामो मे उपयोग
अक्षरो की संख्या 8 से ज्यादा न रखे। यह नियम प्रोग्राम मे वेरियबल को लिखने मे सहूलियत
देने के लिए बनाया गया हैं।
5 वेरियबल के अंत मे नंबर का
उपयोग किया जा सकता हैं जैसे a1,a2,a3 आदि ये तीन वेरियाबल हैं जिनमे हमने अंत मे संख्या उपयोग किया हुआ
हैं।
6 वेरियबल का नाम किसी कीवर्ड
के नाम पर नहीं रखा जा सकता हैं।
Single Variable Declaration
सिंगल वेरियबल को अगर आप बनाना
चाहते हैं तो उसको बनाने के लिए आप निम्न तरीके से सी मे कोड लिखना होगा।
int a;
वेरियाबल निर्धारण के बाद सेमीकालम
लगाना अनिवार्य हैं। अगर आप एक लाइन मे एक वेरियबल परिभाषित करते हैं तो यह singlevariabledeclaration कहलाएगा।
MultiVariableDeclaration
माना अगर कोई प्रोग्राम मे
5 वेरियबल बनाने हैं पर सभी का integer हैं तो कैसे वेरियबल बनाएँगे।
पहला तरीका इस प्रकार हैं।
int a;
int b;
int c;
int d;
int e;
पर इसमे पाँच बार int लिखना पड़ गया तथा पाँच बार
सेमीकालम लगाना पड़ गया, हालांकि यह तरीका भी वेरियबल बनाने के लिए सही हैं पर इसमे प्रोग्रामर
को ज्यादा समय लगेगा तथा कम्प्युटर की कार्य क्षमता भी प्रभावित होगी। इसलिए ऊपर परिभाषित
पाँच वेरियबल को हम
निम्न प्रकार से भी परिभाषित कर सकते हैं, जिससे प्रोग्रामर का काफी
समय बचेगा।
int a,b,c,d,e;
अब आप पहले और दूसरे तरीके
मे खुद ही तुलना कर सकते हैं। की वेरियबल परिभाषित करने के लिए कौन सा तरीका उचित होगा।